koi tanha jee लेता है
koi tanha मर जाता है
koi परे मरण-जीवन के
विरह-अश्रु को पी लेता है |
जीवन की निष्ठुर घधियों में
आंसू तुम मेरे साथी हो
किसी के आंसू जहर जाते हैं
koi आंसू पी लेता है|
अश्रु-बूँद se सिंचित दिल को
पूज्य योग्य सब kahate हैं
अर्पित करता देवों को पर
स्वयम नहीं apanata है|
ह्रदय तंत्र जब भी bajata है
खुद गता खुद सुनाता है
पर-पीड़ा पर marane वाला
क्यूँ इसे नहीं सुन pata है|
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